अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
अमृता प्रीतम की पिंजर: पुरुष पात्र रशीद के अनैतिक से नैतिक बनने के प्रयास की यात्रा
नदियों की उदासी का छन्द रचती कविताएँ
प्रलेस की एक सदस्या की खुली चिट्ठी :पितृसत्ता के खिलाफ हर लड़ाई में हम आपके साथ हैं
लेखक संगठनों को समावेशी बनाने के सुझाव के साथ आगे आये लेखक: प्रलेस से की पहल की मांग
जब प्रलेस के बड़े लेखकों ने पाकिस्तानी महिलाओं से बदसुलूकी की
लेखिका ने गिनाये प्रगतिशील लेखक संघ के महिला विरोधी निर्णय: संघ सेक्सिस्ट पुलिसवाले के आगे नतमस्क
‘स्त्री’ : एक सार्थक हॉरर फिल्म
मिसोजिनी, नायकत्व और ‘कबीर सिंह’
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा